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ट्विन टावर क्या है?
यह एक प्राइवेट कंपनी के द्वारा बनाई गई इमारत है । ट्विन टावर बनाने वाली कंपनी ने सन् 2004 में मंजूरी ली थी। इसके अनुसार कुछ 9 मंजिल तक की इमारत बनाने हेतु सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई थी लेकिन बिल्डर्स ने अपनी मनमानी चलते हुए खुद की सुविधानुसार कई बिल्डिंगों और इमारतों को खड़ा कर दिया और कुछ इमारतों को तय की गई ऊंचाई से भी अधिक ऊंचा बना दिया और उसी इमारत को ट्विन टावर कहते हैं।
इस टावर को बनाने हेतु कई बार कोर्ट द्वारा संशोधन भी किया गया और इमारत को 40 मंजिल बनाने हेतु मंजूरी दे दी थी लेकिन फिर से बिल्डर्स नही रुके और ट्विन टावर को निश्चित लंबाई से भी अधिक ऊंचा बना दिया जोकि कोर्ट में इसके खिलाफ मामला चलता रहा, इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा तथा सुप्रीम कोर्ट ने इस अवेध मंजिल के गिराने का आदेश दिया और 28 अगस्त सन् 2022 को ट्विन टावर को विस्फोट द्वारा ध्वस्त कर दिया गया।
ट्विन टावर को कब और क्यों बनाया गया?
ट्विन टावर का निर्माणीकरण एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, सुपरटेक कंपनी नामक कंपनी द्वारा शुरू किया गया था। यह कंपनी आरके अरोड़ा की कंपनी है और आर के अरोड़ा इस ट्विन टावर बनाने वाली सुपरटैक कंपनी के फाउंडर अथवा संस्थापक है।
इस पूरी कहानी की शुरुआत लगभग सन 1996 से हुई और सन 2009 में आर के अरोड़ा की इस सुपरटेक कंपनी ने बिल्डिंग निर्माण का कार्य शुरू कर दिया था।
साल 2012 में ट्विन टावर के निर्माण का काम जारी रखा और लगातार हुए संशोधन के बीच इस टावर का निर्माण कार्य जारी रहा।
ट्विन टावर एक लंबे समय बाली इमारत है, शुरुआत में यह कंपनी 8-11 मंजिला इमारतों का निर्माण किया करती थी जोकि प्रदेश सरकार द्वारा गुहार लगाने पर मंजूरी दी जाती थी । ठीक इसी प्रकार ट्विन टावर को बनाने हेतु कोर्ट से मंजूरी ली गई और इस टावर को लगभग 16 मंजिल तक बनाने हेतु मंजूरी मिली जोकि कंपनी के अनुसार उचित नही थी, लेकिन इसके बाद कई वर्षो तक इस मामले को कोर्ट में पेश किया गया और संशोधन भी किए गए लेकिन संशोधन में भी बिल्डर्स को उचित ऊंचाई बढ़ाने का निर्णय नही मिला ।
कोर्ट के इस फैसले के बाद भी बिल्डर्स इस टावर को बनाने में लगे हैं और यह टावर इसके फ्लेट की बिक्री भी बढ़ती जा रही थी।
रिपोर्ट के अनुसार ट्विन टावर के कुल फ्लैट्स में से 60 फीसदी फ्लैट्स की बुकिंग हो चुकी थी। इस टावर में कुछ 40 मंजिल हैं।
इस सुपरटेक कंपनी का उद्देश्य इमारतें खड़ी करके उनकी विक्री करना है, इसके द्वारा और भी कई सारी इमारतों को बनाया जा चुका है।
ट्विन टावर की कुल कितनी कीमत था ?
ट्विन टावर के दो भाग हैं पहले भाग की ऊंचाई 97 मीटर है तथा दूसरे भाग की ऊंचाई 103 मीटर है। आंकड़े के मुताबिक इस ट्विन टावर से कंपनी को लगभग 1200 करोड़ की कमाई थी। जबकि इसको बनाने में लगभग 200 करोड़ रूपए का खर्च आया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया Twin Tower गिराने का निर्देश ?
दरअसल यह लड़ाई ट्विन टावर बिल्डर्स और एक फ्लेट क्रेता के बीच की थी यह मामला घसीटता हुआ आगे बढ़ता चला गया और करीब 8-10 लोग ट्विन टावर को गैर कानूनी तरीके से बनाए जाने का दावा करने लगे।
सबसे पहले ये मामला उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद पहुंचा। इलाहाबाद हाईकोर्ट से ट्विन टावर पर रोक लगा दी गई बाद में बिल्डर्स सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और लंबे समय तक चले इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने इसे ध्वस्त अथवा नष्ट करने का निर्णय किया।
ट्विन टावर का मालिक कौन है ?
ट्विन टावर को बनाने वाली कंपनी का नाम सुपरटेक है और इस सुपर्टेक कंपनी के मालिक या संस्थापक का नाम आर के अरोड़ा है।
ट्विन टावर को किसने गिरवाया तथा सुप्रीम कोर्ट तक क्यों पहुंचा ट्विन टावर का मामला?
फ्लेट क्रेता द्वारा सन 2009 में ट्विन टावर बनाने वाली कंपनी, सुपरटेक कंपनी के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार में गुजार लगाई, इसके बाद सन 2009 में बनाए गए आरडब्ल्यू को इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचाया गया। तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा ट्विन टावर को सन 2014 में ही नष्ट करने का आदेश दे दिया गया था।
इस फैसले के बाद सुपरटेक कंपनी सुप्रीम कोर्ट पहुंची और सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को 7 साल तक चलाया गया, इसके बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही रखा परिणामस्वरूप लगभग 3 महीने के अंदर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फाइनल फैसला सुनाया और ट्विन टावर को गिराने का आदेश दे दिया।
ट्विन टावर को किस तरह गिराया गया व कितना आया ट्विन टावर को गिराने का खर्च ?
दो भागों में बने इस ट्विन टावर को गिराने में लिए साढ़े तीन क्विंटल विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल किया गया। इस टावर को गिराने में आर्थिक तथा प्राकृतिक हानि भी हुई।
ट्विन टावर को गिराने में कुल 20 करोड़ रूपए का खर्च आया है और साथ ही नोएडा के उस एरिया में प्रदूषण भी फेल गया।
ट्विन टावर को गिराने में हुए इस खर्च को ट्विन टावर बनाने वाली कंपनी सुपरटेक से ही बसूला जाएगा।
ट्विन टावर को गिराने में फैसले के बाद ट्विन टावर के मालिक अथवा सुपरटेक कंपनी ने क्या बोला?
सुपरटेक कंपनी ने बताया कि हमारे द्वारा तैयार किया गया इस इमारत को हर तरह के नियमो का पालन करते हुए बनाया गया था लेकिन उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात को संतोषजनक नहीं पाया और इसे गिराने का निर्देश दे दिया।
हम सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का सम्मान किया और उसे लागू किया तथा ट्विन टावर को नष्ट करने हेतु विश्व की मानी कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग को ट्विन टावर नष्ट करने अथवा गिराने का काम सौप दिया था तथा इस टावर को सुरक्षित तरीके से गिरा दिया गया। हम उच्च न्यायालय के हर आदेश को मानने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ट्विन टावर से जुड़े रोचक तथ्य
- ट्विन टावर को 2009 में बनाया गया था
- ट्विन टावर को बनाने वाली कंपनी का नाम सुपरटेक कंपनी है।
- सन 2012 में उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट ने ट्विन टावर गिराने का आदेश दे दिया था।
- सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई और काफी सालों तक मामला चलता रहा।
- ट्विन टावर को बनाने में करीब 200 करोड़ का खर्च आया था।
- ट्विन टावर से कंपनी को करीब 1200 करोड़ का मुनाफा होने वाला था।
- ट्विन टावर के 2 भाग थे।
- ट्विन टावर को गिराने में करीब 20 करोड़ का खर्च आया।
- 1300 किलोग्राम विस्फोट पदार्थ का उपयोग किया गया।
- ट्विन टावर मात्र 5 सेकंड ने नष्ट हो चुका था।
- ट्विन टावर के इर्द गिर्द करीब 600 पुलिस कर्मी और फोर्स तैनात थी जो ट्विन टावर को सुरक्षित तरीके से गिराने हेतु तैनात की गई थी।
- 500 मीटर तक के इलाके को पूरी तरह खाली कर दिया गया था और निषेध जोन घोषित कर दिया गया था।
- इस निषेध जोन में सिर्फ 6 लोग थे।
- इस टावर का नष्ट होने से ही लगभग 5 गुना अधिक प्रदूषण फैला ।
- ट्विन टावर को गिराने में पहले करीब 40 अन्य टावरों को पूरी तरह खाली कर दिया गया था।
- ट्विन टावर के पास स्थित अन्य कुछ इमारतों को प्रदूषण से बचाव हेतु कवर किया गया था।
- ट्विन टावर में 3 बीएचके अपार्टमेंट बनाए गए थे।
- एक अपार्टमेंट की लागत करीब सवा करोड़ थी।
- ट्विन टावर में 915 फ्लैट्स थे ।
- 915 फ्लैट्स में से अब तक 633 बुक हो चुके थे।
- इन बुकिंग से मिले पैसों को भी लौटना होगा।
- ट्विन टावर बनाने वाली इस सुपरटेक कंपनी को 12 फीसदी ब्याज देना होगा।