सद्गुरु कहते हैं।:-
शरीर की अपनी याददाश्त होती है।
शरीर की अपनी याददाश्त होती है। जैसे कई प्रयोग है जिनसे इनमें से कुछ बातें एक हद तक सिद्ध की जा सकती है। मान लीजिए आपके पिता जी जब वह एक छोटे बच्चे थे उन्हें गोल चीजें पसंद थी। वह गोल कंकड़ से खेलते थे। हर तरह की गोल चीजों से मान लीजिए उनको लेकर उनमें एक तरह का जुड़ाव पैदा हो गया। आप बड़े होकर बेवजह बिना जाने आपको गोल चीजें पसंद आने लगेगी। शायद जब आप बड़े हो रहे हो आपको कंकड़ ना मिले तो आप कुछ और गोल चीजें चुनेंगे। आप अपने आप वैसी चीजें चुनने लगेंगे । यह बातें बिना किसी शक के साबित हो चुके है। कि ऐसे दोहराव होते हैं ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि आप में कुछ मात्रा में जेनेटिक सामग्री होते है।
ऋणानुबंध क्या है
ऋणानुबंध यानी कि वह शारीरिक याददाश्त जो आपके शरीर में मौजूद है। ऐसा इसलिए की आपके खून के रिश्ते की वजह से हो सकता है। ऐसा यौन संबंधों की वजह से भी हो सकता है की शरीर में कुछ यादें रहती है। ऋणानुबंध का मतलब केवल जेनेटिक या वंश की जानकारी का माता पिता से बच्चों तक पहुंचना नहीं है। शरीर की अपनी याददाश्त होती है। जिसमें आपके अतीत की जानकारी होती है। ना केवल इस बारे में कि आपके त्वचा का रंग क्या है। या आपके नाक या शरीर की बनावट कैसी है। या की नस्ल नहीं वह नहीं है यह कुछ ऐसा है जब आप किसी का हाथ भर पकड़ ले तो आपके अंदर ऋणानुबंध बन जाएगा इसलिए जब आप भारत आए तो लोग दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करते है। ना कि हाथ मिलाते है। और भी बहुत सारी चीजें है। जैसे लोग आपके हाथ में नमक नहीं देगे आपसे नमक लेना हो, तो वह कहेंगे इसे यहां रख दिजिये हाथ में नहीं लेंगे और आपके हाथों पर तेल भी नहीं लेंगे। कुछ प्रकार की मन्यता होते हैं।
जो भारतीय लोग हाथों से नहीं लेते अगर आप किसी को मिट्टी देना चाहे कुछ ऐसे अनुष्ठान होते हैं। जिसमें मिट्टी देना होता है। तो वह आपके हाथों से नहीं देंगे वह कहेंगे इससे नीचे रख दीजिए दूसरा उसे उठा लेता है। उसे कभी भी किसी के हाथ से मत लीजिएगा वरना आप में ऋणानुबंध बन जाएगा। अगर आप एक हद से ज्यादा शरीर में यादाश्त ले ली तो उसे कन्फ्यूजन पैदा होगा। दिमाग का कन्फ्यूजन नहीं दिमाग का कन्फ्यूजन अलग होता है। वह आपकी अपनी कमाई है। शारीरिक कन्फ्यूजन अगर शरीर भ्रम में है तो इसे आराम नहीं मिल पाता। आप में से कई लोगो ने यह देखा होगा किसी किसी दिन जब शरीर कंफ्यूज होता है। आप देखे होंगे जब आप कहीं बैठे हैं तो शरीर बस थका थका सा रहता है।
तो इसे शुद्ध करने के लिए हमने कई तरह के सिस्टम बनाया। एक होता है अग्नि स्नान, वायु सेना और हां हर रोज जल स्नान।
सद्गुरु कहते हैं।
एक समय था जब मैं बहुत साधना करता था। मैं 1 दिन में 5 से 7 बार नहाता था। क्योंकि आपका सिस्टम इतना संवेदनशील बन जाता है। ऐसा नहीं है कि मैंने गिन कर रखा है कि मुझे 5 से 7 बार ही नहाना है। जब भी इसकी जरूरत पड़ी है नहा लिया ज्यादातर दिन में दो बार नहाते हैं। कम से कम आमतौर पर वह नदी में डुबकी लगाते हैं। कम से कम एक बार बहते पानी में डुबकी लगाते हैं। ताकि धूलकर साफ हो जाए जो लोग साधना कर रहे हैं। यहां तक कि आज भी आश्रम में किसी भी ब्रह्मचारी को एक ही जगह पर कपड़े नहीं धोने दिए जाते। हर कोई अपने कपड़े अलग-अलग धोते हैं इसलिए हम एक वाशिंग मशीन नहीं लगा सकते हैं कि सब के कपड़े एक साथ डाल दिए जाए और धोले वह काफी आसान होता लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे। क्योंकि वह सब के सब साधना कर रहे हैं। और हर किसी की अपनी एक विशेष गुण है। हम नहीं चाहते हैं की वह सब खिचड़ी बन जाए। क्योंकि वह कारगर नहीं होगा। अगर हमें उन्हें मिलाना भी पड़ गया तो हमको हर धुलाई के दौरान उन पर मिट्टी चलानी पड़ेगी शायद आपको यह नहीं पता हो की सारे के सारे सन्यासी है। हमेशा बहुत बारीक की हुई लाल मिट्टी से अपने कपड़ों को रंगते हैं।
सारा आश्रम इसी रंग से रंगा हुआ है। क्योंकि हमने सिर्फ मिट्टी का इस्तेमाल किया है ठीक है मिट्टी जैसे एक खास गोंद जो पेंट की तरह चिपक जाता है। आश्रम की सारी इमारतों पर यही रंग लगाया गया था। और सभी साधु और सन्यासी जो इस रास्ते पर हैं। वह सभी लाल मिट्टी से अपने कपड़े धोते हैं छाने हुई मिट्टी जिससे वह अपने कपड़े धोते हैं। इसीलिए यह लाल रंग आया है। या तो आपके कपड़े अलग से धोने चाहिए या फिर हर बार आपको उस पर मिट्टी लगानी चाहिए ताकि आपका ऋणानुबंध आपका इकलौता ऋणानुबंध सिर्फ धरती के साथ हो आपके आसपास चीजों या लोगों के साथ नहीं बस धरती के साथ तो ठीक होगा। अगर क्योंकि अगर मिट्टी में सने कपड़े पहने गंदे – मैंले नहीं मतलब अगर आप मिट्टी में सने कपड़े पहने मतलब लाल मिट्टी में डूबाए कपड़े पहने ऐसे कपड़े पहने हैं तो वह शरीर को याद दिलाएंगे कि वह कहां से आया है। और कहां जाएगा तो जो लोग अध्यात्मिक रास्ते पर हैं। वह हमेशा छानी गई लाल मिट्टी में डूबाए गए कपड़े पहनते हैं ।
असल में वह सफेद कपड़े हैं जो मिट्टी के रंग में रंग गए हैं। क्योंकि उन्हें लगातार फिल्टर्ड मिट्टी से धोया गया है।