Quick info about Krishna Pattabhi Jois
पूरा नाम ( Full Name) | कृष्ण पट्टाभि जोयीस |
जाति ( Cast) | ब्राम्हण |
धर्म | हिन्दू |
नागरिकता | भारतीय |
राशि | तुला |
उम्र ( Age) | 93 साल की उम्र में मृत्यु |
जन्म स्थान ( Birthplace) | कोवशिका, कर्नाटक |
जन्म तिथि ( Date of Birth) | 26 जुलाई सन 1915 |
भाषाएं | संस्कृत, कन्नड़, हिंदी, अंग्रेजी |
पेशा ( Profession) | योग गुरु |
उपाधियां | योग विद्वान |
जीवनकाल | 93 साल |
मृत्यु | सन 2009 में |
मृत्यु का कारण | नैचुरल |
Table of Contents
कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी के बारे में ( About Krishna Pattabhi Jois)
भारतीय योगा के इतिहास में कृष्ण पट्टाभि जोयीस का नाम सबसे ऊंचा स्थान पर रहेगा उन्होंने भारत में योगा के महत्व को समझाया व सरल शब्दों में कहें तो ये प्रथम भारतीय योग गुरु थे जिन्होंने स्तंग विन्यास जैसी योगा की शुरुआत की।
इसके अलावा उन्होंने तमाम प्रकार के योगा उत्पन्न किए इनके द्वारा 19वीं सदी के दौरान योगा शोध संस्थान खोला गया जिसमें छात्रों को प्रशिक्षित किया जाता था लेकिन कृष्ण पट्टाभि जोयीस का नाम बुरी तरह बर्बाद हो गया था क्योंकि इन पर आरोप था कि उन्होंने अपने छात्रों के साथ दुर्व्यवहार करते हुए जबरदस्ती की, छात्रों के गुप्तांग पर बुरी तरह नजर बनाए रखते थे और मौका मिलते ही उन्हें छूने की कोशिश करते थे, इस बात को लेकर उनके नाम पर कीचड़ उछाला गया।
कृष्ण पट्टाभि जोयीस की जीवनी/जीवन परिचय ( Krishna Pattabhi Jois Biography in Hindi)
कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी का जन्म 26 जुलाई सन 1915 में कर्नाटक राज्य के एक कोशिकवा नामक गांव में हुआ था इनका जन्म इस स्थान के कन्नड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता पेशे से ज्योतिषी थे जो कि जमीन कांटेक्ट का भी कार्य करते थे शुरुआती समय से उन्होंने संस्कृत भाषा में शिक्षा प्राप्ति की तथा बाद में भारत के सर्वश्रेष्ठ योग गुरुओं में से एक बने और योग गुरु के तौर पर समाज में उभर कर बाहर आए।
इनका जीवनकाल 93 साल का रहा, जो कुछ इस प्रकार है- 1915-2009
कृष्ण पट्टाभि जोयीस का प्रारंभिक जीवन ( Early life of Krishna Pattabhi Jois )
इस ब्राह्मण परिवार में लगभग 15 सदस्य थे जिनमें से 9 बच्चे थे।
कृष्ण पट्टाभि जोयीस इस ब्राह्मण परिवार के पांच वें बेटे थे।
मात्र 5 वर्ष की आयु में प्रवेश करते ही कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी को उनके पिता द्वारा शिक्षित किया जाने लगा। यह ब्राम्हण परिवार सामान्यता कोआशिका गांव का एक सर्वोत्तम शिक्षित परिवार माना जाता था।
इसी के चलते इस परिवार के बच्चों को भी शिक्षा का माहौल मिला और शिक्षा पर ध्यान भी दिया गया सबसे बड़ी बात तो यह है कि कृष्ण पट्टाभि जोयीस आगे चलकर एक योग गुरु बने जबकि इनके परिवार में योगा से संबंध कोई भी निशानी नहीं थी और उनका परिवार योगा से कोई संबंध नहीं रखता था।
ऐसा कहा जाता है कि कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी के पिता जी ने इन्हें हर तरह प्रशिक्षित किया लेकिन योगा से संबंधित कोई भी जानकारी नहीं दी फिर भी कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी को योग गुरु के रूप में ही सफलता हाथ लगी।
शैक्षणिक योग्यता ( Krishna Pattabhi Jois Education qualification)
कृष्ण पट्टाभि जोयीस की शैक्षणिक योग्यता उस समय के अनुसार काफी बेहतर थी जो कि मुश्किल से मात्र 5 परसेंट लोग ही हासिल कर पाते थे।
इनके जीवन में छात्र जीवन का लंबा समय रहा है और इस समय अंतराल में उन्होंने सैकड़ों हुनर को सीखा और सिखाया भी।
उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में काम किया जैसे शिक्षा क्षेत्र, कला, संस्कृति, योगा आदि।
हम इनकी शैक्षणिक योग्यता को क्रमबद्ध समझने की कोशिश करेंगे।
इनकी शिक्षा की शुरुआत उनके जन्म स्थान से ही हुई आचार्य जी के साथ उन्होंने लगभग 2 वर्ष तक इसी गांव में शिक्षा प्राप्त की तत्पश्चात उच्च शिक्षा हेतु दूसरी जगह रवाना हुए।
सन 1930 की बात है जब कृष्ण पट्टाभि जोयीस संस्कृत की पढ़ाई करने के लिए घर से बाहर अकेले ही निकल गए इस समय उनकी उम्र मात्र 15 साल थी और जब घर से बाहर निकले तब इनके पास कुल ₹2 ही थे।
15 साल की उम्र में उन्होंने घर को छोड़ा और इसका कारण शिक्षा ही थी यह रास्ता मसूरी का था जोकि वर्तमान में भारत के कर्नाटक राज्य में आता है, जिस पर जोयीस जी अकेले ही निकल पड़े। कहीं न कहीं इसी जीवन के कदम को कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी का योगा प्रारंभ होने का चरण माना जाता है। जब ये मसूरी पहुंचे तब मसूरी के महाराज किसी बीमारी से ग्रसित थे और इसी समय इनका प्रवेश मसूरी में हुआ था ।
इन्हें पता चलते ही महाराज जी से संपर्क किया और अपने आचार्य का परिचय देते हुए योगा के महत्व को बताया जो की बीमारी से ग्रसित महाराज ने योगा आश्रम खुलवाया और योग करना शुरू किया।
उन्होंने 12 साल की उम्र से ही अपने आचार्य शिक्षा ग्रहण करना शुरू कर दिया था और 1994 में उन्होंने योगा टेक्निक को खोज निकाला, जोकि वास्तव में काफी सराहनीय बात है।
जीवन यात्रा (Krishna Pattabhi Jois career)
इनके शिक्षक रुपी जीवन की शुरुआत मसूरी से हुई यहां इन्होंने एक संस्कृत महाविद्यालय से योगा का ज्ञान दिया और योगा कक्षाएं भी जारी रखी।
उन्होंने लगभग 36 साल तक इसी महाविद्यालय में शिक्षा प्रदान कराई जो कि सन 1937 से शुरू होकर 1973 तक चली।
यह सौभाग्य के उन्हीं राजा ने दिया था जिसे कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी ने योगा करने को प्रेरित किया था।
महाराजा जी ने इनको सारी सुविधाएं दिलाई जिनमें उनकी मासिक तनख्वाह, घर एवं अन्य सुविधाएं सम्मिलित थी।
इस महाविद्यालय से कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी को शिक्षक का काफी अनुभव प्राप्त हुआ जिसके बाद इन्हें सरकार द्वारा योगा प्रोफेसर की उपाधि प्राप्त हुई और कानूनी तौर पर जायज जी योगा प्रोफेसर बने जो कि हिंदी में योग विद्वान के नाम से जाना जाता है।
सन 1948 के समीप इनके द्वारा अष्टांग योगा शोध संस्थान खोला गया जिसे लक्ष्मीपुरम नामक स्थान पर स्थापित किया गया था। 19वीं सदी पूरा होते-होते इनके द्वारा कई बड़े कार्य किए जा चुके थे इसके बाद सन् 2002 में इन्होंने गोकुलम नामक स्कूल भी खोला जहां मुफ्त में योगाभ्यास एवं प्रशिक्षण दिया जाता रहा है।
इनके द्वारा विदेश में भी संस्कृत भाषा के कई शैक्षणिक कार्य किए गए तथा सन् 1974 की बात है जब कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी ने दक्षिण अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय योग बैठक पर अपना भाषण दिया था तथा लगभग 5 महीने तक अमेरिका के कैलिफोर्निया नामक स्थान पर रुके और अष्टांग विन्यास योगा को वहां पर स्थापित किया।
कृष्णा पट्टाभि जोयीस का पारिवारिक जीवन( Krishna Pattabhi Jois family information)
जून 1933 में जब जोयीस जी की उम्र लगभग 18 साल की थी तब इन्होंने सवित्रमा नामक लड़की से शादी की जो है जी को तीन संतान प्राप्त हुई जिनमें सरस्वती मंजू व रमेश निम्नलिखित हैं।

पिता का नाम | अज्ञात |
माता का नाम | अज्ञात |
भाई | 5 |
बहन | 4 |
पत्नी | सवित्रमा |
बच्चे | 3 |
पुत्र | मंजू, रमेश |
पुत्री | सरस्वती |
पोता,पोती | सरथ जोयीस |
जोयीस जी से संबंधित अन्य व्यक्ति | इड लिनम |
सम्मान प्राप्ति एवं अवॉर्ड ( Award and nomination)
- योग की पहल शुरू करने के लिए सम्मानित किया गया
- संस्कृत महाविद्यालय द्वारा विद्वान योग गुरु के नाम से नवाजा गया
- अमेरिका में इन्हें हेल्थ वैल्थ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आदि इन्हें कई सम्मान प्राप्त हुए।
कृष्णा पट्टाभि जोयीस का के बारे में अनसुने रोचक तथ्य ( interesting facts)
- इन्होंने 18 साल की उम्र में शादी की थी।
- कृष्ण पट्टाभि जोयीस द्वारा मसूरी के महाराजा को योगा के प्रति प्रेरित करने का प्रयास किया गया जिसमें यह सफल हुए।
- इनके द्वारा कुछ सामाजिक कार्य से किए गए जो काफी सराहनीय हैं।
- सन 1948 में इन्होंने अष्टांग योग नामक संस्थान की स्थापना की।
- कृष्ण पट्टाभि जोयीस द्वारा 2002 में स्कूल खोले गए ।
- कृष्ण पट्टाभि जोयीस द्वारा मुफ्त में शिक्षा और योग प्रशिक्षण कराए गए।
- कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी ने लगभग 36 साल तक बतौर योग शिक्षक के रूप में छात्रों को शिक्षा प्रदान कराई।
- इन्हें भारतीय कानून एवं सरकार द्वारा योग विद्वान का दर्जा दिया गया।
- कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी के ऊपर यौन संबंध बनाने हेतु आरोप लगाए गए जिनमें छात्र एवं छात्राएं दोनों शामिल थी ।
- इन आरोपों का कोई विशेष मकसद सामने नहीं आ सका।
- सन 1930 में उन्होंने अपने घर को छोड़कर कर्नाटका में स्थित मसूरी नामक शहर अकेले ही चले गए थे।
- जब घर से निकले तब इनके पास सिर्फ 2 रुपए ही थे
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Q. कृष्ण पट्टाभि जोयीस कौन थे?
Ans. योग गुरु
Q. कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी ने किस संस्थान की स्थापना की?
Ans. अष्टांग योग संस्थान
Q.कृष्ण पट्टाभि जोयीस पेशे से क्या थे?
Ans. शिक्षक
Q. कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी का जन्म कब हुआ था?
Ans.26 जुलाई सन 1915
Q. कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी का जन्म कहां हुआ था?
Ans. कर्नाटक राज्य में
Q. क्या इनपर यौन उत्पीड का आरोप लगाया गया?
Ans. हां
Q. आरोप किसके द्वारा लगाया गया था?
Ans.कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी के छात्र छात्राओं द्वारा।
Q. कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी का जीवनकाल कितना था?
Ans.93 वर्ष
Q. कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी की मृत्यु कब हुई?
Ans. 18 मई 2009 में
Q. कृष्ण पट्टाभि जोयीस जी की मृत्यु कैसे हुई?
Ans. प्राकृतिक रूप से
Q. कृष्ण पट्टाभि जोयीस की पत्नी का क्या नाम है?
Ans. सवित्रमा जोयीस
DISCLAIMER: कृष्ण पट्टाभि जोयीस के बारे में उपरोक्त विवरण विभिन्न ऑनलाइन रिपोर्टों से प्राप्त किया गया हैं। वेबसाइट आंकड़ों की 100% सटीकता की गारंटी नहीं देती है। सभी तस्वीरें सोशल मीडिया अकाउंट से ली गई हैं।