नालंदा से अमित कु सविता की रिपोर्ट
पंचशील नगर, हरनौत, जिला-नालंदा में पर्यावरण संरक्षण, हम सभी का दायित्व: सद्भावना मंच ( भारत)
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रख्यात संगठन सद्भावना मंच (भारत) के तत्वावधान में हरनौत के पंचशील नगर में समाजसेवियों बुद्धिजीवियों एवं पर्यावरण प्रेमियों की उपस्थिति में पर्यावरण संरक्षण हम सबका दायित्व विषय पर संगोष्ठी की गई।
इस संगोष्ठी का विधिवत संचालन मंच के सक्रिय कार्यकर्ता विभूति भूषण कुमार, अधिवक्ता ने किया।
इस मौके पर उपस्थित मुख्य अतिथि के रूप में जाने-माने समाजसेवी तथा मंच के संस्थापक दीपक कुमार ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या एवं जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने ,जल को प्रदूषण मुक्त रखने, इसके स्तर को संतुलित रखने, हरित आच्छादन को बढ़ावा देने, नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग एवं ऊर्जा की बचत पर बल देने, जलवायु परिवर्तन के अनुरूप कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों को नया आयाम देने आदि उदेश्यो को लेकर देश और दुनिया में अनेकों लोग समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। निश्चित रूप से उनका यह प्रयास अतुलनीय एवं अनुकरणीय है।
जिस ढंग से दुनिया भर में विकास के नाम पर वृक्षों की कटाई हो रही है । उससे पर्यावरण पर संकट पैदा हो रहा है। जीवन के सभी ज्ञात रूप पानी पर निर्भर करते हैं 50 साल पहले आम धारणा थी कि पानी एक अनंत संसाधन है उस समय धरती पर इंसानों की संख्या आज की संख्या के आधे से भी कम थी आज जल संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा तीव्र है मनुष्यों के लिए पानी हमेशा से एक महत्वपूर्ण और जीवन दायक पर ही रहा है और यह सभी जीवो के जीवित रहने के लिए अनिवार्य है।
आज लोगों को एक-एक घड़े शुद्ध पेयजल के लिए मिलो भटकना पड़ रहा है। जल के टैंकर और ट्रेन से जल प्राप्त करने के लिए घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है। अपने बिहार में अब तक ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है। किंतु अब यदि नहीं चेता गया और जल संरक्षण नहीं किया गया तो वह दिन भी दूर नहीं ।रोजमर्रा के कामकाज, नहाने, कपड़े धोने, खाना बनाने, बर्तन साफ करने, उद्योग धंधा चलाने के लिए तो जल चाहिए, वह कहां से लाए जबकि नदी, तालाब, ट्यूबेल, हैंडपंप एवं कुएं या तो सूख गए हैं नहीं तो इन संरचनाओं की विशिष्टता को नगण्य कर अतिक्रमण कर लिया गया है। पशु -पक्षियों को भी पानी के लिए मिलो भटकना पड़ता है। पेड़ पौधे भी सूखते जा रहे हैं।
जल की कमी से अनेक कारखाने बंद होने से लोग बेरोजगार होते जा रहे हैं। खेती-बाड़ी के लिए तो और भी अधिक पानी की जरूरत है। परंतु पानी नहीं मिलने से खेती बाड़ी चौपट होती जा रही है। जल संकट के लिए कोई और नहीं वरन हम स्वयं जिम्मेदार हैं। जल संकट तो हमारी भूलों और लापरवाही से ही उपजा है। हम अनावश्यक रूप से तथा अधिक मात्रा में जल का दोहन कर रहे हैं। दैनिक उपयोग में आवश्यकता से अधिक मात्रा में जल का अपव्यय करने की आदत ने जल संकट बढ़ा दिया है। साथ ही पर्यावरण संकट दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है ।
अगर हम नहीं जागेंगे तो आने वाली पीढ़ियां हमसे ज्यादा परेशानियों का सामना करेगी। हमें और आने वाली हमारी पीढ़ियों को गंभीर समस्याओं से बचना है तो प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की प्रकृति को त्यागना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जल -जीवन- हरियाली अभियान की शुरुआत करने का निर्णय काफी सराहनीय है।
सरकार तो अपना कार्य बखूबी कर रही है। जरूरत है समाज के तमाम लोगों को इस अभियान में साथ देने की। आइए हम सब मिलकर संकल्प लें इस धरा को हरा-भरा बनाएंगे
यह समय की मांग है और युग धर्म भी।
इस मौके पर हरनौत के पंचशील नगर में समाजसेवी विनोद कुमार पांडेय, चंद्र उदय कुमार, शिक्षक जितेंद्र कुमार ने भी विस्तार पूर्वक वृक्षारोपण के महत्व पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी के बाद महोगनी एवं जामुन के पौधे लगाए गए।
इस मौके पर हरनौत के पंचशील नगर में सत्य प्रकाश, सरयू कुमार, अभिषेक कुमार, आर्यन राज, बिट्टू, राजेश, नीरज, सुनीता, रवि, रिंकू कुमारी सहित दर्जनों युवा उपस्थित थे। सभी ने पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली।