स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज कहते हैं।
भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए बच्चों को बचपन से ही संस्कार देने शुरू कर दो | संस्कार देने का सबसे बड़ा फर्ज है “मां” का | मां अगर चाहे तो बच्चे को कुछ भी बना सकती है अच्छे संस्कार दो उनको बताओ की हम किस की संताने है हमारे पूर्वजों के बारे में बताओ उनकी वीर कहानियां सुनाओ मां का कर्तव्य है बच्चों की सही परवरिश करना अगर सही संस्कार बचपन में ही मिल गए तो वो बड़े होने के बाद स्वामी विवेकानंद, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, श्रवण, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, कृष्ण जैसे वीर, योद्धा, देश भक्त, मातृ-पितृ भक्त, बन जाएंगे अगर सही संस्कार नहीं मिले तो वो आगे जाकर चोर, लुटेरा, कंस, दुर्योधन, रावण जैसे राक्षस न बन जाए |

इस लिए संस्कार बचपन से ही दे देने चाहिए | आपका व्यवहार आपके बच्चों पर बहुत प्रभाव डालता है आज के जमाने में आप जो बोलते है वो बच्चे नहीं करते परंतु आप क्या करते है ये बच्चे जरूर करते है इसलिए बच्चों के सामने क्या बोलना है क्या नही, क्या करना है क्या नही, इस का विशेष रूप से ध्यान दे, शरीर का आकार तो भगवान बनाता है लेकिन जीवन का आकार संस्कार बनाते है
इसलिए आपके कैसे संस्कार है वैसे ही आपका जीवन बनता है बच्चो को भौतिक सुविधाओ तथा कार बंगले के साथ -साथ संस्कारवान शिक्षा जरूर देवे जो आने वाली सातों पीढ़ियों का कल्याण करती हैं।
बच्चों को शिक्षा के साथ- साथ संस्कार भी दें।