मैं बिहार राज्य से ताल्लुक रखने वाला व्यक्ति हूं, मैने बिहार में हुए बदलाव, यहां की स्थिति और यहां के इतिहास को बारीकी से जाना है। आज बिहार जिस स्थिति में है, उसके कारण को मैने बारीकी से समझा और परखा है। इसलिए मुख्य तथ्यों को ध्यान में रखते हुए तथा खुद के नजरिए से बिहार एक पिछड़ा राज्य होने पर उसके कारण को बताने जा रहा हूं।
दुनिया के सबसे सफल देशों में भारत से किसी राज्य के लोग मिले या न मिले लेकिन बिहार के लोग मिल ही जाते हैं क्योंकि बिहार में उद्योग और रोजगार की कमी है जिसके कारण अधिकतर बिहारी काम की तलाश में दूसरे राज्य या फिर विदेश चले जाते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी जानकर कि बिहार में जमीन का प्रति व्यक्ति दर दूसरे राज्यों की तुलना में काफी कम है जबकि यहां की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर ही निर्भर है।
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आज बिहार एक पिछड़े राज्य के तौर पर जाना जाता है जिसके निम्नलिखित मुख्य कारण है –
प्राकृतिक आपदा व बिहार की दिशा स्थिति:
बिहार देश के जिस नक्शे पर स्थित है वहां अन्य राज्यों की अपेक्षा बहुत कम ट्रांसपोर्ट सिस्टम मिल पाता है।
यहां विदेश में व्यापारिक लेन-देन मुश्किल कार्य है,कारणवश ट्रांसपोर्ट का खर्चा ज्यादा हो जाता है। बिहार एक ऐसा राज्य है जहां दो तरह की विपरीत आपदाएं देखने को मिल जाती हैं।
कहीं पर बाढ़ आ जाती है तो कहीं पर सूखा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
बाढ़ –
बिहार भारत का सबसे अधिक बाढ़ प्रवण राज्य है, जिसमें उत्तर बिहार की 76 प्रतिशत आबादी बाढ़ की तबाही के आवर्ती खतरे में रहती है। बिहार भारत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का 16.5 फीसदी और भारत की बाढ़ प्रभावित आबादी का 22.1% हिस्सा बनाता है।
फैक्ट्री एवं उद्योग की कमी :
बिहार में ऐसी कोई बड़ी कंपनी है या फैक्ट्री नहीं है जिससे बिहार के लोगों को रोजगार मिल सके तथा खुद की जरूरतों को पूरा करने में सहारा मिले। बिहार उल्टा दूसरे राज्यों से अपनी जरूरतें पूरा करने हेतु सामान मंगवाना है जो भारत की वित्तीय दर न बढ़ने का अहम कारण हैं।
बिहार – झारखंड विभाजन:
बिहार को खनिज उत्पादन में प्रथम स्थान पर रखा जाता था बिहार में देश का सबसे ज्यादा खनिज उत्पादन होता था लेकिन खनिज उत्पादन होने के बावजूद यहां उद्योग शुरू नहीं किया गया बल्कि दूसरे राज्यों में यहां के खनिज तथा माल को भेजा गया जिससे अन्य राज्यों और अन्य देशों की आर्थिक व्यवस्था मजबूत होती गई लेकिन बिहार दिन पर दिन आर्थिक स्थिति से कमजोर होता गया।
इसका दूसरा कारण झारखंड और बिहार का विभाजन माना जाता है क्योंकि बिहार से झारखंड का विभाजन हो जाने के बाद समस्त खनिज उत्पादन भी पूरी तरह घट गया।
जबकि अविभाजित बिहार राज्य ने राज्य के दक्षिणी हिस्सों में भारी निवेश किया और इसका औद्योगीकरण किया, नवंबर 2000 में दक्षिण बिहार के आदिवासी क्षेत्रों को अलग करने के लिए झारखंड के निर्माण ने राज्य के अधिकांश खनिज आधार को छीन लिया और खाली हाथ छोड़ दिया। बिहार के विभाजन ने बिहार के शेष हिस्से को बहुत छोटे कर आधार के साथ छोड़ दिया।
जातिवाद:
बिहार में शुरू से जातिवाद का संगठन चलता आ रहा है। ऊंची जाति के लोग अपने धन दौलत और सामाजिक व्यवहार के दम पर नीची जाति के लोगों को दबा कर रखते थे जिसके कारण इन लोगों ने एकता बनाई और सभी नीची जाति ने मिलकर सत्ता का सहारा लिया।
सत्ता का सारा लेने के बाद यह लोग अपने आप को मजबूत बनाने लगे तथा तभी से यहां पर जाति वाली राजनीति शुरू हो गई और यह बिहार में वृद्धि न होने का एक कारण बन गया।
जमींदारी के वर्षों और भूमि सुधारों की कमी ने बिहार को एक सामंती समाज बना दिया था, जहां उच्च जातियों में से कुछ के पास सारी भूमि का स्वामित्व था। साथ में उन्होंने सत्ता, राजनीति और अर्थव्यवस्था को नियंत्रित किया। जाति भेद सबसे अधिक था।
कम निवेश व वृद्धि दर:
प्रतिवर्ष संपूर्ण भारत और बिहार के इकोनामी चार्ट को देखा जाए तो बिहार काफी पीछे चल रहा है यहां आर्थिक वृद्धि की दर बहुत कम है जिसका सीधा असर यहां की शिक्षा गुणवत्ता पर होता है।
यहां औद्योगिक निवेश कम है और अधिकांश टाटा निवेश अब झारखंड में हैं। बिहार में हर दूसरा व्यक्ति किसान है। कृषि 56%, उद्योग 8%, सेवाएं 36%,
पर्यटन:
यह वह है जिसे अच्छी तरह से बढ़ावा और रखरखाव नहीं किया जाता है। जिससे बिहार कमजोर हो गया है।
राजनीति:
बिहार में अधिकांश राजनेता तथाकथित “बाहुबली नेता” हैं और हम उनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं? फिर भी, बिहार में सबसे प्रतिभाशाली लोग हैं और वे देश और विदेश में बहुत अच्छा कर रहे हैं। मुझे बिहारी होने पर गर्व है।
जनसंख्या वृद्धि और शिक्षा दर का अनुपात :
बिहार राज्य शिक्षा के मामले में भले ही अच्छा प्रतीत हो लेकिन अगर जनसंख्या वृद्धि की दर और शिक्षा दर को देखा जाए तो शिक्षा की यहां बहुत बुरी स्थिति है।
लगातार जनसंख्या वृद्धि होने से शिक्षा गुणवत्ता की दर एक समान रुकी हुई है । बिहार ही एक ऐसा राज्य है जहां की औरतें सबसे ज्यादा बच्चों को जन्म देती हैं इसके बावजूद ऐसे ही स्थानों पर शिक्षा का अभाव देखा जाता है।
कुछ तथ्य:
- बिहार के 70 साल के इतिहास में लगभग 40 बार सरकार बदली गई हैं।
- अब तक लगभग 23 मुख्यमंत्री हो चुके हैं।
- बिहार के अधिकांश छात्र IIT और NIT में नामांकित हैं।
- इस राज्य के ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग नामी कंपनियों में काम करते हैं।
- बिहार ने भारत को बहुत सारे IAS अधिकारी, पत्रकार दिए हैं।
- भारत के सबसे सफल क्रिकेट कप्तान बिहार से हैं!
- पूरी दुनिया का सबसे पुराना तथा पहला विश्वविद्यालय बिहार में ही है जिसे नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है इसके बावजूद बिहार शिक्षा के मामले में निम्न स्तरीय राज्य माना जाता है।